बनसटाॅड़ शमशान घाट के बगल का शिवालय सिद्धि मंदिर की अलौकिक शक्ति

 बनसटाॅड़ सिद्धि मंदिर का वर्षों पुराना है इतिहास



श्रावण माह में अलौकिक है बनसटाॅड़ मंदिर  की महिमा




अभिषेक कुमार

इचाक

मंदिरों की नगरी इचाक में वैसे तो सैकड़ों शिवालय हैं. लेकिन प्रखंड के कुटुमसुकरी में स्थित बनसटाॅड़  शिवालय मंदिर का विशेष ही महत्ता है। बुढ़िया माता मंदिर के दक्षिण दिशा की ओर स्थित बनसटाॅड़ का सिद्धि शिव मंदिर अपने आप में विशेष महत्व रखता है। जानकार बताते हैं कि राजा शिवनाथ सिंह के समय 1778 ईस्वी में इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कर शिव जी को प्रतिष्यत किया गया था। इस मंदिर में जो भी मन्नत व मुराद मांगी जाती है भगवान भोलेनाथ उसे पूरा करते हैं। इसलिए इस मंदिर में लोग दूर-दूर से मन्नतें मांगने को आते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि राजा लक्ष्मी नारायण सिंह को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी तब उन्होंने बनसटाॅड़ शिवालय में जाकर मन्नते मांगा था। उनका वंश नहीं चलने के कारण थक हार कर वे बनसटाॅड़ के शिव मंदिर पर आश्रित होकर मन्नत मांग कर पदमा चले गए थे। जिसके कुछ महीनों बाद ही उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। बनसटाॅड़ मंदिर के आशीर्वाद से उनके घर कामाख्या नारायण सिंह पैदा हुए थे। वर्षों पुराना यह मंदिर क्षेत्र का प्रख्यात मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां ज्योतिर्लिंग और शंकर द्वादश दो लिंग स्थापित हैं। जिसे महाकाल और शंकर के नाम से जाना जाता है। 




बनसतांड में भगवान भोलेनाथ अपने पूरे परिवार समेत स्थापित है. जिसमें बीरभद्र,  माता पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदेश्वर और नागदेव समेत पूरे परिवार एक साथ मंदिर में विराजमान हैं। इस मंदिर के पूरब कोण की ओर श्मशान घाट है। श्मशान घाट के समीप शिव जी का निवास करने के कारण इसे सिद्धि मंदिर माना जाता है। यहां दूरदराज से भी लोग सिद्धि करने आते हैं। मंदिर के बाहर ही नंदेश्वर महाराज स्थापित है। पुजारी का कहना है कि इनके पूर्वज पहले नंदेश्वर का पूजा पाठ करते थे तभी शिवालय घुसते थे। वर्तमान पुजारी उमेश पांडे बताते हैं कि चार पीढ़ियों के समय से बनसटाॅड़ में पूजा करते चले आ रहे हैं। इनके पूर्वज पहले पत्थलगड़ा में स्थापित लोबीया के पुजारी थे।इनके परदादा अमलोल पंडा के समय से ही इनके पूर्वज बनसटाॅड़ वाले मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में पूजा कराते आ रहे हैं। इनके पिता भूलन पंडित ने भी वर्षों तक इस मंदिर की सेवा में लीन रहे। जिसके बाद वर्तमान में उमेश पांडे और उनके पुत्र पप्पू पांडे मंदिर की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। पुजारी उमेश पांडे का कहना है कि श्रावण माह में इस मंदिर की अलौकिक शक्ति और अधिक बढ़ जाती है तथा इस समय वह पूजा करने वाले लोगो की हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रावण मास में इस मंदिर में विशेष रुप से रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय का जाप किया जाता है। यह जाप से लोगों की हर मनोकामना पूर्ण होती है तथा कई तरह के नकारात्मक दोष से मुक्ति मिलती हैं। नागपंचमी में इस मंदिर में दूध लावा चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न किया जाता है और अपनी मुरादे पूरी की जाती है। श्रावण माह भर इस मंदिर में प्रत्येक सोमवारी को विशेष रूप से श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। भक्तों की भीड़ पुरे श्रावण मास तक चलते रहती हैं। दूर दराज से लोग मनोकामना की पूर्ति के लिए  मंदिर पहुंचते हैं। यह मंदिर की पहचान सिद्धि मंदिर के रूप में की जाती है।

मुखिया का वितीय शक्ति खत्म

 सभी निवर्तमान मुखिया की वित्तीय शक्तियां खत्म, मनरेगा का पावर अब बीडीओ को





अभिषेक कुमार

झारखंड में ग्राम पंचायतों के सभी निवर्तमान मुखिया को झटका लग गया है. उनके हस्ताक्षर से पंचायतों के बैंक अकाउंट्स के संचालन पर रोक लग गयी है. 15वें वित्त आयोग और मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में पेमेंट करने का अधिकार अब उनके पास नहीं रहा. सरकार ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को आगामी छह महीने के लिए एक्सटेंशन देने का निर्णय जरूर लिया है, लेकिन इससे संबंधित अधिसूचना अब तक जारी नहीं की गयी है. ऐसे में राज्य में प्रखंड कार्यालयों से इस आशय का आदेश जारी किया जा रहा है कि कार्यकाल पूरा होने की वजह से ग्राम पंचायतें स्वतः विघटित हो गयी हैं और इस वजह से ग्राम पंचायतों की कार्यकारी समितियों के प्रधान के माध्यम से सरकारी योजनाओं का भुगतान बंद कर दिया जाये.




पंचायतों में रुक गये काम

भुगतान रोकने के आदेश होने से पंचायतों में कामकाज ठप पड़ रहा है. मजदूरों से लेकर सामग्री मद में भी भुगतान रुक गया है. 15वें वित्त आयोग की 400 करोड़ से अधिक की योजनाओं का भी काम धीमा पड़ गया है. हालांकि, मुखिया यह मांग कर रहे हैं कि भुगतान का अधिकार बरकरार रखा जाये.


मनरेगा का भुगतान बीडीओ के हाथ में

मनरेगा के तहत भुगतान का अधिकार भी अब प्रखंड विकास पदाधिकारियों के हाथ में चला गया है. अब मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर से योजना में खर्च के लिए फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) का अनुमोदन संभव नहीं है. गिरिडीह सहित कई जिलों के उप विकास आयुक्तों द्वारा आदेश निकाल कर पंचायतों में मनरेगा से चल रही विभिन्न योजनाओं में किये जाने वाले व्यय का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (इपीएफएमएस) के जरिये करने को कहा गया है. यह अधिकार बीडीओ के पास है.


राज्यपाल से अध्यादेश की मंजूरी,पर आदेश जारी नहीं हुआ

बता दें कि झारखंड में ग्राम पंचायतों की त्रिस्तरीय व्यवस्था को दूसरी बार छह महीने का विस्तार देने से जुड़े अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इससे संबंधित आदेश जिलों और प्रखंडों में नहीं पहुंचा है. पंचायतों को मिले पहले एक्सटेंशन की अवधि सात जुलाई की अर्द्धरात्रि को ही समाप्त हो चुकी है. छह महीने के दूसरे एक्सटेंशन में पंचायतों की व्यवस्था अधिकारियों के माध्यम से चलेगी या ग्राम प्रधान की अध्यक्षता की कार्यकारी समितियों के जरिये, यह क्लीयर नहीं हुआ है. इधर,खाता संचालन पर रोक लग गयी है. पंचायतों के अकाउंट्स को नियत तिथि से अनरजिस्टर्ड किया जा रहा है. ग्राम पंचायतों के निवर्तमान प्रधान द्वारा अब फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) अप्रूव नहीं किया जायेगा.


 


कोरोना के चलते समय पर चुनाव नहीं हुआ

झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर 2020 को ही समाप्त हो गया था. कोरोना के चलते उस वक्त चुनाव संपन्न नहीं हो सका. ऐसे में सरकार ने पंचायतों को पहले छह माह का अवधि विस्तार दिया और यह कहा कि अप्रैल- मई तक चुनाव करा लेंगे. इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव नहीं हुआ है. हालांकि, निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी कर रहा है परीसीमन का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन किसी भी हाल में दिसंबर के पहले चुनाव संभव नहीं लग रहा.

इचाक खैरा भाया डाढ़ा पथ निर्माण संघर्ष समिति की बैठक

 इचाक से खैरा भाया डाढ़ा पथ निर्माण संघर्ष समिति की बैठक


समिति की शर्त नही मानने पर  राजनीतिक दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने पदों से देंगे सामूहिक इस्तीफा


इचाक 

प्रखण्ड के दरिया स्थित दुर्गा मंदिर के प्रांगण में इचाक से खैरा भाया डाढा पथ निर्माण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के बीच शनिवार को बैठक की गयीं। अध्यक्षता संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता एवं संचालन अनिल मेहता ने किया। बैठक में सभी पदाधिकारियों ने कांग्रेस नेता दिगम्बर मेहता द्वारा दिया गया ब्यान का घोर भर्त्सना किया। उपस्थित लोगो ने एक स्वर में कहा कि पथ निर्माण संघर्ष समिति का गठन छः पंचायतों की जनता द्वारा किया गया है। श्री मेहता द्वारा यह आरोप लगाना की समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता एवं समिति द्वारा आंदोलन को बेचा जा रहा है. यह कहीं ना कही  पंचायत के पचास हजार जनता की भावना को ठेस पहुंचाने का काम किया गया है। जिसे समिति घोर निंदा करती है। बैठक में सर्व समिति से यह निर्णय लिया गया की संघर्ष समिति एकता एवं अखंडता को बरकरार रखते हुए निष्पक्ष एवं निश्चल भाव से आंदोलन को जारी रखेगी। यदि किसी के द्वारा आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया जाएगा उसे चिन्हित कर इस क्षेत्र की जनता सबक सिखाने का काम करेगी। साथ ही क्षेत्र के अंतर्गत सभी दल के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता का मंतव्य आया कि यदि यहां के सांसद और विधायक उक्त पथ को पीडब्ल्यूडी मे शामिल एवं पथ का निर्माण नहीं करवाते तो हम लोग सभी दल के नेता एवं कार्यकर्ता एक साथ सामूहिक रूप से अपनी अपनी पार्टी से त्यागपत्र देंगे। साथ ही सांसद एवं विधायक  का भरपूर विरोध किया जाएगा। बैठक में मुख्य रूप से आमंत्रित सदस्य अर्जुन कुमार मेहता, पूर्व प्रमुख कौशल नाथ मेहता, अशोक यादव, कुशल चंद मेहता, हरिहर प्रसाद मेहता, उपाध्यक्ष रमेश कुमार हेंब्रोम, प्रधान महासचिव इंद्रदेव प्रसाद मेहता, बसंत नारायण मेहता, बीरबल प्रसाद मेहता, अनिल राणा, राजकुमार राम, मुखिया प्रतिनिधि मंटू लाल दास, राम जय प्रसाद मेहता, सचिव अशोक कुमार मेहता, जागेश्वर प्रसाद मेहता, लोकनाथ मेहता, सीताराम मेहता, प्रेम लाल मेहता, सुरेश प्रसाद मेहता, रंजीत कुमार मेहता, कृष्णा सिंह, वीरेंद्र मेहता, राजेश कुमार मेहता समेत कई लोग उपस्थित थे।

नगवाॅ- इचाक खैरा भाया डाढ़ा पथ आन्दोलन को बेचने मे लगे हैं समिति के अध्यक्ष

 ठीका लेकर सड़क निर्माण आन्दोलन को बेचने मे लगे हैं अध्यक्ष- दिगम्बर मेहता 


विधायक के खिलाफ कलतक जिसनेे किया नारेबाजी, आज ठेकेदार बन कर बेच रहे आन्दोलन

इचाक खैरा पथ निर्माण के आंदोलन को संघर्ष मोर्चा के कुछ भाजपाई दलाल बेचने की कोशिश कर रहे हैं। मोर्चा के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता आंदोलन को कमजोर करने में लगे हैं। क्षेत्र के लोगों ने 10 जुलाई को मानव श्रृंखला बनाकर समिति अध्यक्ष के नेतृत्व में विधायक एवं सांसद के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया था। किंतु संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता विधायक अमित यादव को बुलाकर ठीका पट्टा के लिए आंदोलन को बेचने में लगे हुए है। उक्त बातें कांग्रेस पार्टी के राज्य सदस्य दिगंबर कुमार मेहता ने कही। उन्होंने कहा कि इचाक खैरा पथ निर्माण को लेकर कांग्रेस पार्टी सीएम हेमंत सोरेन और मंत्रियों से वार्ता कर रही है। उन्हें मांग पत्र सौंपा गया है। जिसकी अनुशंसा सरकार के मंत्रियों ने किया है। सड़क को पीडब्ल्यूडी में तब्दील कर बनवाने के प्रति दिन रात एक किए हुए हैं। उन्होंने कहा कि विधायक ने ओम प्रकाश मेहता और एक अन्य दलाल को दो दो लाख का ठेका देकर मुंह बंद कर दिया है। सड़क निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता भाजपा का कार्य करता है। उसी के नेतृत्व में सासंद व विधायक के खिलाफ जमकर नारेबाजी और आलोचना 10 जुलाई को किया गया। उसके बाद 15 जुलाई को विधायक को बुलाकर बैठक करके जन आंदोलन को दो लाख के ठीका में बेच दिया गया। क्षेत्र की जनता और कांग्रेसी कार्यकर्ता संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता के मनमानी को चलने नहीं देंगे । यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस के कार्यकर्ता हजारों ग्रामीणों के साथ सड़क पर आर-पार का आंदोलन करेगी।  उन्होंने कहा कि विधायक अमित यादव की बात करें तो  दोहरी नीति अपनाते हुए कोविड-19 में प्रवासी मजदूरों के बीच बाटी जाने वाली सरकारी राशि को हजारीबाग पार्क में दे कर मजदूरों का हक मारा है। जनता विधायक के कारनामों को समझ चुकी है। उन्होंने विधायक पर 5 फ़ीसदी कमीशन लेकर दलालों को योजना लिखने का आरोप भी लगाया है।विधायक के खिलाफ आरोप लगाने वालों में प्रखंड अध्यक्ष लालमोहन रविदास, महासचिव अजय यादव, मनोज मेहता,किशोर मेहता, नागेश्वर मेहता, अशोक मेहता, बसंत मेहता और राजेश मेहता समेत अन्य कांग्रेसी शामिल हैं।

जीडी इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक का निधन

 


जीडी स्कूल के संस्थापक विनोद सिंह का निधन, विद्यालय परिवार ने जताया शोक


 इचाक

जीडी इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल हदारी के संस्थापक विनोद कुमार सिंह का निधन शुक्रवार की रात हो गया।वे लगभग 70 साल के थे। उनके मौत से स्कूल परिवार में शोक की लहर दौड़ गई ।मृतक अपने पीछे दो पुत्र एवं एक पुत्री समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए। वे कई महीने से गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। उन्होंने अंतिम सांस हजारीबाग स्थित आवास में लिया।बिनोद मूल रूप से इचाक प्रखंड के देवकुली गांव के रहने वाले थे।  उनके मौत को शिक्षा प्रेमियों ने अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि मृदुभाषी और समाजसेवीयों के रूप में पहचान बनाने वाले एक कर्मठ व्यक्ति को समाज खो दिया है।



उनके मौत पर स्कूल परिवार की ओर से शोक सभा आयोजित कर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। शोक संवेदना व्यक्त करने वालो में भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक कपरदार, वरिष्ठ पत्रकार उमेश पत्राप, लक्ष्य नवयुवक संघ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार, प्राचार्य संजीव कुमार, शिक्षक रीता वर्मा, उतम कुमार झा, नीलिमा सिन्हा, नम्रता सिन्हा,ललिता कुमारी,रंजीत शर्मा, नूतन कुमारी,दिपक कुमार, दिपु कुमार, निशा कुमारी, अनुपम श्रीवास्तव, रीचा सिन्हा, अलिशा कश्यप,पूनम कुमारी, अजीत कुमार, संजीता मेहता, अशीत सिन्हा समेत कई लोगों का नाम शामिल हैं ।


दिसम्बर में हो सकते पंचायत चुनाव

दिसबंर में हो सकते हैं पंचायत चुनाव

 6 महीने बढ़ सकता है कार्यकाल, मंजूरी के लिए गवर्नर को भेजा अध्यादेश

अभिषेक कुमार

झारखंड में एक बार फिर त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। कोरोना की वजह से पंचायतों का कार्यकाल 15 जनवरी तक बढ़ाया जाएगा। इनकी अवधि दूसरी बार छह महीने तक के लिए बढ़ना तय हो गया है। राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी की आशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर सहमति दे दी है। इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है।

राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों की अवधि का विस्तार अगले छह महीने के लिए बढ़ जाएगा। झारखंड पंचायती राज्य अधिनियम में हुए संशोधन पर बाद में राज्य मंत्रिपरिषद से सहमति ली जाएगी। पहली बार कार्यकाल में हुए छह महीने के विस्तार के बाद 15 जुलाई को पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 

ज्ञात हो कि पिछला ग्राम पंचायत चुनाव 2015 में हुआ था। प्रावधान के तहत पहली बैठक के बाद पांच साल की अवधि का कार्यकाल 15 जनवरी को पूरी हो गई। इस दौरान कोरोना काल के कारण चुनाव संपन्न नहीं कराया जा सका। 

राज्य सरकार ने मुखियों को ग्राम-प्रधान का पदनाम देकर 15 जुलाई तक छह महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया। कोरोना की दूसरी लहर आने के कारण कार्यकाल विस्तार की अवधि में भी चुनाव संपन्न नहीं कराया जा सका। इसलिए कार्यकाल का विस्तार दूसरी बार छह महीने के लिए बढ़ाने की नौबत आई है। प्रशासक नियुक्त होंगे या वर्तमान समिति को विस्तार 

अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य सरकार यह तय करेगी कि ग्राम पंचायत, पंचायत समितियों और जिला परिषदों में पहले कार्यकाल विस्तार के दौरान बनाई गई समिति ही काम करती रहेगी या राज्य सरकार तीनों ही स्तर के पंचायती राज निकायों में प्रशासक नियुक्त कर नई समिति बनाएगी। 

पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल विस्तार केंद्र सरकार के अनुदान को खर्च करने के लिए भी जरूरी है। अवधि विस्तार नहीं होने पर 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिली राशि खर्च नहीं हो पाएगी। इससे विकास कार्यक्रमों को धक्का लग सकता है। इसके अलावा राज्य सरकार के महत्वपूर्ण जमीनी कार्यालयों के भी निष्क्रिय हो जाने का खतरा है।

दिसंबर में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव दिसंबर में कराने की तैयारी की जा रही है। इससे पहले कोरोना काल के अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त का नहीं होना भी पंचायती राज्य चुनाव में बाधा था। राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव का पद लंबे समय तक खाली रहने के कारण भी चुनावी तैयारी शुरू नहीं हो सकी थी। अब इन दोनों पदों के भरे होने के कारण पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगर कोरोना की तीसरी लहर इस बीच नहीं आई तो दिसंबर में पंचायत चुनाव संपन्न हो जाएगा।

स्काॅरपियो चोर पुलिस हिरासत में

 


इचाक से चोरी गया स्कॉर्पियो बक्सर से बरामद चोर गिरफ्तार


 इचाक 

स्कॉर्पियो चोरी मामले का उद्भेदन इचाक पुलिस ने दो माह बाद कर लिया है। थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि चोरी में संलिप्त चोरों को गिरफ्तार कर लिया गया है।जबकि स्कॉर्पियो को बिहार के बक्सर जिला से लाने की कवायद तेज कर दी गई है। बता दें कि 6 जुलाई की रात देवनंदन राम के धरमु स्थित घर के पास खड़ी स्कॉर्पियो नंबर जेएच 02 एआर 9052 को चोरी कर लिया गया था। जिसके बाद से इचाक पुलिस स्कॉर्पियो तथा घटना में शामिल चोरों तक पहुंचने को लेकर लगातार प्रयासरत थी। जिसके तहत पुलिस को दो माह बाद चोरों तक पहुंचने में सफलता मिली। इचाक थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि, स्कॉर्पियो को बिहार के बक्सर जिला में बेचा गया था। खरीददार का पता चल गया है। जिसकी सूचना मिलते ही स्कॉर्पियो खरीदने वाला युवक फरार है। जिसकी गिरफ्तारी के लिए बिहार पुलिस के साथ लगातार छापामारी अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही स्कॉर्पियो को वापस लाया जाएगा  जबकि गिरफ्तार चोरों को एसपी दरबार में पीसी के बाद न्यायिक हिरासत में हजारीबाग जेल भेज दिया गया है।


आर एस और जेई पर लगा कमिशन माँगने का आरोप

 


मनरेगा लाभुकों ने रोजगार सेवक-जेई पर लगाया कमीशन मांगने का आरोप बीडीओ को सौंपा आवेदन



 इचाक 

प्रखण्ड मे हदारी पंचायत के लाभुकों ने विभागीय जेई सुनील कुमार और रोजगार सेवक चंदन कुमार पर मनरेगा योजना के तहत बनाए जा रहे डोभा एवं कूप में कमीशन मांगने का आरोप लगाया है। लाभुकों ने इस बाबत एक आवेदन बीडीओ रिंकू कुमारी को सौंपा है।  जिसमें कहा है कि रोजगार सेवक चंदन कुमार प्राक्कलित राशि का दस प्रतिशत  तथा जेई सुनील कुमार पांच फीसदी कमीशन की मांग करते हैं। नहीं देने पर मटेरियल का डिमांड रोजगार सेवक द्वारा नहीं किया जाता हैं,  जिसके चलते मनरेगा स्कीम के तहत कार्य कराने वाले लाभुकों के समक्ष परेशानी उत्पन्न होने लगी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि वर्मी कंपोस्ट निर्माण में जीआरएस द्वारा एक हजार बतौर पीसी मांगा जाता है। नहीं देने पर डिमांड के वक्त लाभुकों को ब्लैकमेल किया जाता है । मामले में  बीडीओ रिंकू कुमारी कहा कि आरोप का जांच कराया जाएगा। लाभुकों का आरोप सत्य होने पर जेई तथा रोजगार सेवक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जेई सुनील कुमार ने कहा कि आवेदन में हस्ताक्षर करने वालों में एक व्यक्ति लाभुक है, बताया कि बरसात को देखते हुए स्टेट से कूप  एवं डोभा से संबंधि भुगतान नहीं करने का पत्र प्राप्त है। जिसके चलते भुगतान नहीं किया जा रहा है।  इसी वजह से सोची समझी साजिश के तहत झूठा आरोप मनरेगा कर्मियों पर लगाया जा रहा है।


शिक्षक स्थांतरण नीति में बदलाव

झारखंड में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति में होगा बदलाव

झारखण्ड 

राज्य के प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल तक के शिक्षकों की तबादला नीति फिर बदली जा रही है। दिव्यांग, असाध्य रोगी, सरकारी सेवा वाले पति-पत्नी के साथ-साथ अब महिला और अन्य शिक्षकों को गृह जिला में स्थानांतरण का मौका मिल सकता है। इसके लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने छह जुलाई को बैठक बुलाई है। इसमें विभाग के आला अधिकारियों के साथ-साथ माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।अंतर जिला स्थानांतरण में होगी देरी

प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल के शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण में देर हो सकती है। इसमें नियम में बदलाव किया गया तो राह आसान हो सकती है। नियम के अनुसार किसी भी जिले में पदस्थापित शिक्षक अगर अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं तो सबसे पहले उस जिले की स्थापना समिति से अनुमोदन करा कर प्रस्ताव प्राथमिक शिक्षा निदेशालय भेजना होता है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय जब उस प्रस्ताव को सहमति दे देता है तो जिस जिले में वह अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं उस जिला की स्थापना समिति शिक्षकों के पदस्थापना की लिस्ट निकालती है। इसके बाद ही शिक्षक को दूसरे जिले से रिलीव होकर नए जिले में योगदान करना होता है। सिलसिलेवार यह प्रक्रिया चली भी तो इसमें भी कई महीनों का समय लग जाता है पिछले तीन वर्षों में अभी तक इस आधार पर तबादला नहीं हो सका है।बाहरी शिक्षकों को मिलेंगे तीन विकल्प

झारखंड की स्कूलों के वैसे शिक्षक जो दूसरे जिलों के निवासी हैं उन्हें सीमावर्ती तीन जिलों के विकल्प की छूट होगी। वे प्राथमिकता के आधार पर किसी जिले में पदस्थापित हो सकेंगे। इसमें महिला शिक्षिकाओं के लिए उनके पति के गृह जिले को ही उनका गृह जिला माना जाएगा अगर सरकारी सेवा वाले पति पत्नी जिस जिले का विकल्प देंगे वह उनका गृह जिला माना जाएगा।


अंतर जिला स्थानांतरण में होगी देरी

प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल के शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण में देर हो सकती है। इसमें नियम में बदलाव किया गया तो राह आसान हो सकती है। नियम के अनुसार किसी भी जिले में पदस्थापित शिक्षक अगर अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं तो सबसे पहले उस जिले की स्थापना समिति से अनुमोदन करा कर प्रस्ताव प्राथमिक शिक्षा निदेशालय भेजना होता है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय जब उस प्रस्ताव को सहमति दे देता है तो जिस जिले में वह अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं उस जिला की स्थापना समिति शिक्षकों के पदस्थापना की लिस्ट निकालती है। इसके बाद ही शिक्षक को दूसरे जिले से रिलीव होकर नए जिले में योगदान करना होता है। सिलसिलेवार यह प्रक्रिया चली भी तो इसमें भी कई महीनों का समय लग जाता है पिछले तीन वर्षों में अभी तक इस आधार पर तबादला नहीं हो सका है।दिव्यांग शिक्षकों को गृह जिला में मिले प्राथमिकता

राज्य सतर्कता आयुक्त सतीश चंद्र ने राज्य के प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त दिव्यांग शिक्षकों को गृह जिला स्थानांतरण में प्राथमिकता दिए जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि नियमावली में असाध्य रोग के साथ दिव्यांगता से ग्रसित शब्द को जोड़ने की आवश्यकता है। इसमें सरकार दिव्यांग कर्मियों के पदस्थापन और स्थानांतरण के लिए नीति बनाएं, ताकि उनके गृह स्थान के निकट उनका पदस्थापन किया जा सके। उन्होंने कहा कि दिव्यांग जनों के गृह क्षेत्र या उनके लिए सुगम स्थान पर स्थानांतरण करने पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए और इस कार्रवाई की जानकारी जल्द से जल्द दी जाए।


झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघक के महासचिव गंगा यादव ने कहा, 'सभी शिक्षकों को गृह जिले में जाने का मौका दिया जाए। सरकारी सेवा वाले जो पति-पत्नी शिक्षक अलग-अलग जिले में हैं उन्हें एक जिले में पदस्थापित किया जाए। साथ ही महिलाओं, दिव्यांग और असाध्य रोगी को भी च्वाइस के अनुसार पोस्टिंग की जाए।'

उठो जागो और तबतक मत रूको जबतक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाय

 स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर सत् सत् नमन 


 अभिषेक कुमार 


 स्वामी विवेकानंद का मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था। 4 जुलाई, 1902 को उनकी मृत्यु के पश्चात उनके सभी उपदेशों और व्याख्यानों को नौ खंडों में संकलित कर उनका प्रकाशन किया गया। स्वामी विवेकानंद को बुद्धि और मानवता का आदर्श माना जाता है। युवा वर्ग आज भी उन्हें अपनी प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं। उनका जीवन काल बहुत लंबा नहीं था, लेकिन इस थोड़े समय में भी उनके साथ तमाम रोचक किस्से जुड़े हैं।



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 स्वामी विवेकानंद का मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था।


1- कुशाग्र बुद्धि वाले अच्छे पाठक


स्वामी विवेकानंद जिज्ञासु पाठक थे. इसी से जुड़ा एक किस्सा है, जिन दिनों वे शिकागो प्रवास में थे, वे वहां की लाइब्रेरी में अक्सर आते-जाते रहते थे. वहां से वे काफी पुस्तकें उधार लेकर आते थे और अगले दिन वापस कर देते थे. इस तरह से वे बहुत सी पुस्तकें बिना पढ़े भी वापस कर देते थे. एक दिन लाइब्रेरियन ने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि जिन पुस्तकों को वे पढ़ते नहीं हैं, उसे लेकर ही क्यों जाते हैं? प्रत्योत्तर में स्वामी जी ने कहा कि वह सारी पुस्तक पढ़ कर ही वापस करते हैं. लाइब्रेरियन को उन पर विश्वास नहीं हुआ. उसने कहा, अगर आप सच कह रहे हैं तो मैं आपकी परीक्षा लूंगा. स्वामी जी परीक्षा देने के लिए तुरंत तैयार हो गये. तब लाइब्रेरियन ने अपनी इच्छा से एक पुस्तक का एक अध्याय खोला और स्वामी जी से पूछा कि इस अध्याय में क्या लिखा है. स्वामी जी ने बिना पुस्तक की ओर देखे अक्षरशः पूरा अध्याय उन्हें जुबानी सुना दिया. इसके बाद लाइब्रेरियन ने कुछ और पन्ने खोले, उसमें से कुछ जानकारियां मांगी. स्वामी जी ने इस बार भी उसके सारे सवालों का वैसा ही जवाब दिया, जैसा कि पुस्तक में छपा था. लाइब्रेरियन हैरान रह गया. उसने पहली बार ऐसा कोई व्यक्ति देखा, जिसके मनो मस्तिष्क में पढ़ी हुई पुस्तकों के अंश हूबहू अंकित हो जाते हों.



2- निडरता


स्वामीजी बचपन में एक मित्र के घर अक्सर जाते थे और वहां जाकर चम्पक के पेड़ पर चढ़ कर उसके फूल तोड़ते थे, क्योंकि उन्हें चंपक के फूल बहुत पसंद थे. एक बार उनके दोस्त के दादाजी ने उन्हें धमकाते हुए कहा कि पेड़ पर एक ब्रह्म राक्षस रहता है, वह बच्चों को खा जाता है. यह सुनकर नरेन्द्र पेड़ से नीचे उतर गए, लेकिन जैसे ही वो वहां से गये, नरेंद्र वापस पेड़ पर चढ़ गए. लोगों ने पूछा तो उन्होंने कहा, बुजुर्गों की हर बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए. यदि इस पेड़ पर सचमुच में कोई राक्षस होता वह मुझे कब का खा चुका होता. विवेकानंद के जीवन में इस तरह के साहस के कई किस्से मशहूर हैं.


3- बुद्धिमान


एक बार स्वामी जी ट्रेन में यात्रा कर रहे थे. उन्होंने कलाई में कीमती घड़ी पहन रखी थी. ट्रेन में मौजूद कुछ लड़कियों की नजर उनकी घड़ी पर पड़ी, उनके मन में लालच आ गया. लड़कियों ने कहा कि वह घड़ी उन्हें दे दें, नहीं तो पुलिस को बुलाकर शिकायत कर देंगी कि तुम हमें छेड़ रहे थे. विवेकानंद जी के मन में शरारत आई. उन्होंने खुद बहरा दिखाते हुए इशारे से कहा कि वे जो कुछ भी कहना चाह रही हैं, वह लिखकर दे दें. लड़कियों ने वही बात लिखकर स्वामी जी को देते हुए कहा घड़ी उतारो. तब स्वामी जी ने कहा, मुझे पुलिस को बुलवाकर उन्हें आपकी यह चिट्ठी देनी पड़ेगी. लड़कियां तुरंत वहां से उठीं और दूसरे ट्रेन के दूसरे डिब्बे में चली गईं।

'संघर्ष जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी'

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4- एकाग्रता

एक बार अमेरिका प्रवास के दौरान स्वामी जी ने देखा कि कुछ लड़के पुल पर खड़े होकर नीचे पानी में तैरते अंडों को बंदूक से निशाना लगाकर फोड़ने की कोशिश कर रहे थे, मगर काफी कोशिशों के बावजूद उनके निशाने सही नहीं बैठ रहे थे. तब विवेकानंद जी ने उनस पूछा क्या मैं भी निशाना लगा सकता हूं। इस पर लड़कों ने उन्हें बंदूक पकड़ा दिया. स्वामी जी ने कुल 12 फायर अंडों पर निशाना साधा और हर निशाने पर अंडे को फोड़ने में सफल रहे। लड़के हैरान रह गये। पूछा, सर आपने पर एक कैसे इतना सधा हुआ निशाना लगाया? स्वामी जी ने कहा, आप जो भी काम करो, पूरी एकाग्रता से करो, तभी सफल होगे. आप पूरी तरह एकाग्र होकर निशाना नहीं लगा रहे थे. इसके बाद उन लड़कों ने स्वामी जी के सुझाव पर निशाना साधा और उनका हर निशाना सफल रहा.

5- मैं तो संन्यासी हूं

साल 1888 में आगरा और वृन्दावन के मार्ग में सफर करते हुए उन्हें एक व्यक्ति चिलम फूंकते हुए दिखा. स्वामी जी ने वहां रुक कर उससे चिलम मांगी. चिलम वाले ने कहा कि आप संन्यासी हो और मैं वाल्मीकि कुल का हूं, हमारी जूठी चिलम आपको कैसे दे दूं. स्वामीजी उठकर जाने लगे, तभी उन्हें विचार आया कि आखिर केवल जूठा होने के कारण मैं चिलम क्यों नहीं ले सकता? उन्होंने कहा-मैंने संन्यास ग्रहण किया है. मैंने परिवार और जाति के बंधन को तोड़ दिया हैं, ये कहकर वे चिलम लेकर पीने लगे. बाद में उन्होंने बताया कि भगवान के बनाये सभी इंसान एक समान हैं, इसलिए किसी के लिए भी जाति निर्धारित द्वेष भाव मन में नही रखना चाहिए।

बरकट्ठा विधायक का अनुशंसित योजनाओं का अभिलेख

 विधायक द्वारा अनुशंसित योजनाओ का अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश जारी 



अभिषेक कुमार 

हजारीबाग उपायुक्त कार्यालय विकास शाखा के पत्रांक 568 दिनांक 24/0621 के आलोक में बरकट्ठा विधानसभा अंतर्गत ईचाक प्रखण्ड में विधायक अमित कुमार यादव द्वारा अनुशंसित योजना का अभिलेख उपलब्ध कराया गया है। जिसमें उप विकास आयुक्त हजारीबाग और प्रखण्ड विकास पदाधिकारी इचाक को  सूचित कर निर्देश दिया गया है कि अनुशंसित योजनाओं का स्थल निरिक्षण कर योजना अभिलेख/ प्राक्कलन के साथ योजना स्थल का फोटो ग्राफ, उपयोगिता प्रमाण पत्र,  भूमि प्रतिवेदन,  चेक स्लिप जिसमें योजना का क्रियान्वयन किसी भी मद से किया गया है या नही उल्लेख करते हुए पूर्ण अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया गया है। 


 विधायक अमित कुमार यादव 

प्रखण्ड में लीए गये अनुशंसित योजना में ग्राम पंचायत परासी में नरेश गुप्ता आटा चक्की मिल से रिंकु सिन्हा के घर तक पीसीसी पथ, लक्ष्मी नारायण पब्लिक स्कूल से हरि यादव के घर तक पीसीसी पथ निर्माण, अरूण सिंह के घर से शिव मंदिर तक पीसीसी पथ, भगवती मठ में कुप मरम्मती, बीआरसी भवन से रानी पोखर तक पुलिया के साथ पीसीसी, अम्बेडकर नगर में अम्बेडकर मूर्ति निर्माण, ग्राम कुटुमसुकरी में विनोद मेहता के घर से टेकन साव के घर तक पीसीसी पथ निर्माण, परासी में वीरेन्द्र तिवारी के घर से गणेश तिवारी के घर तक पीसीसी,  पंचायत डुमराॅन में डीएवी स्कूल में मरम्मती, नावाडीह में ब्रह्मदेव गोप के घर से सुनील गोप के घर होते हुए राधाकृष्ण मंदिर तक पीसीसी, डुमराॅन में चबूतरा निर्माण, ग्राम कुरहा में बालकिशुन रजक के घर से  कल्याण कुमार के घर तक नाली निर्माण, कुरहा में धनेश्वर राणा के घर से नंदा पोखर तक नाली निर्माण, करीयातपुर तालाब में घाट निर्माण, पुराना ईचाक पंचायत अंतर्गत ग्राम बंदुआ मे शमशान शेड निर्माण, तेतरीया में वंशी सिंह के घर से शिव मंदिर तक पीसीसी, ग्राम डाढ़ा में राजू महतो के घर से महावीर महतो के गोहाल तक पीसीसी पथ निर्माण, ग्राम आरा में शमशान शेड निर्माण, पंचायत डाडीघाघर के ग्राम सीमरातरी मे अनिल सिंह के घर से  रामेश्वर सिंह के घर तक पीसीसी, बरकाखुर्द पंचायत के ग्राम काला द्वार में  रामचन्द्र राम के घर से रामेश्वर महतो के घर तक पीसीसी पथ निर्माण, कपसा बाबा के पास शेड निर्माण,  बरकाकला पंचायत के मनाई में तितई तालाब के उत्तर और पश्चिम में सीढ़ी निर्माण,  अलौंजा खुर्द में जगदीश महतो के घर से छोटेलाल महतो के घर तक पीसीसी, कारीमाटी में शमशान शेड, कारीमाटी में शिवाने नदी के पास शमशान शेड, बरियठ पंचायत के भुसाई गांव में शमशान रोड निर्माण, भुसाई के मठ गहरा पोखर में सीढ़ी निर्माण, भुसाई में सुदीप सिंह के घर से मण्डप तक पीसीसी पथ निर्माण, बोंगा पंचायत के देनी आहार में सीढ़ी निर्माण, हदारी पंचायत के धरमु में लखन विश्वकर्मा के घर से धीरू विश्वकर्मा के घर तक नाली निर्माण स्लेप के साथ, धरमु में अब्दुल रहमान के घर से इन्द्र विश्वकर्मा के घर तक पक्की नाली निर्माण स्लेप सहित शामिल हैं।

सरकार के आदेश बाद भी खुल रहे इचाक के कई निजी स्कूल

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