Johar jharkhand

                         झारखंड हो रहा खण्ड खण्ड
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08/02/2018


       एक कुशल शासक अपने शासन काल में प्रजा को वे सारी सुविधाएं उपलब्ध कराता है जिससे उनके चेहरे पर मुस्कराहट हो और प्रजा का  परिवार फलते फूलते रहे तथा समाज मे समुचित खुशहाली का वातावरण रहें। आज देश का सबसे महत्वपूर्ण राज्य झारखंड की स्थिति इतनी भयावह है कि मानो लोकतंत्र किसी नदी में डूबा है और पुरा सिस्टम उब- डुब हो रहा हैं।वर्तमान में झारखंड राज्य की शासन प्रणाली भले ही चुनींदाओ के नजर में कुशल शासक समझी जा रही हो,लेकिन वर्तमान की सच्चाई को झुटलाया नहीं जा सकता की झारखंड को खण्डित किया जा रहा है। जब लोकतंत्र का स्तम्भ ही धरना प्रदर्शन करे तो समझ लेना चाहिए कि शासक का कठोर व्यवस्था हैं या लोकतांत्रिक प्रणाली उसके निरंकुश व्यवस्था को झेल रही है। आज बात करते हैं लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया का। 15 नवंबर झारखंड स्थापना दिवस पर मीडिया के कलम को दबाने की कोशिश के साथ शासक की सामंतवादी विचारधारा की उत्पत्ति और पत्रकारों पर हमला झारखंड की दुर्दशा को बता रहा हैं। दूसरी ओर अगर बात की जाय सर्व शिक्षा अभियान का मुख्य अंग पारा शिक्षकों का तो यह कहना उचित होगा कि ये अपने क्षेत्र में ग्रामीण स्तर पर शिक्षा गढ़ने की कार्य 18वर्षो से कर रहे हैं;लेकिन उनके साथ प्रशासन के द्वारा बर्बरता पूर्ण पेश आना राज्य का दुर्भाग्य है। शिक्षक समाज और देश की नींव गढ़ते है और एक सकारात्मक समाजिक तत्व की उत्पत्ति करते हैं इसलिए माता पिता से भी उच्च स्थान शिक्षक का होता है।अतः शिक्षकों को मारना - पिटना और उन्हें आतंकवादी की संज्ञा दे कर हथ-कड़ी लगाकर अमानवीय बर्ताव करना लोकतंत्र से परे अकुशल शासक की पहचान हैं। वर्तमान में झारखंड के पत्रकार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं,पारा शिक्षक ,रसोइया,मनरेगा कर्मी,ग्राम पंचायत मुखिया,सेविका,सहिया अन्य अपने अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं,आन्दोलन कर रहे है और हड़ताल कर रहे हैं:-यह राज्य और देश की सबसे बड़ी विडम्बना हैं।ऐसी व्यवस्था से जनता का भी आक्रोश बढ़ता है और समाज खण्डित होती हैं। जिससे राज्य और देश भी खोखला  बन रहा हैं। झारखंड मे जो वर्तमान सरकार हैं उनका कर्तव्य होता है कि अपनी जनता का पुरा ख्याल रखी जाय और जनता तक लाभ पहुंचाने वाले विभाग और सिस्टम को बेहतर सुविधा दिया जाय।वर्तमान में जो स्थिति उत्पन्न है कई विभाग हड़ताल और धरना कर रहे हैं इससे एक सवाल जरूर उठता है कि इसके जिम्मेवार कौन?हमारा देश आजादी के पूर्व ब्रिटिश शासन काल में स्वयं के लाभ को देखते हुए अपने अनुसार कानून बनाते थे और भारतीय नागरिकों के उपर वैसे कानून थौप दी जाती थी और शासक के निजी लाभ वाले कानून को नही मानने वाले भारतीय नागरिकों पर कौड़े और चाबुक बरसायी जाती थी; इन्ही संदर्भों पर एक बात जहन में उठती हैं की स्वतंत्र भारत का एक राज्य झारखंड क्या उसी दौर से गुजर रहा है? क्या सिस्टम आज भी अधूरी हैं,या जो सिस्टम राज्य की जनता के हित मे बनाया गया वह किसी व्यक्ति विशेष के पद के दबाव मे काम कर रही हैं। अगर इन सभी सवालो पर गौर किया जाय तो यह जरूर कहा जा सकता है कि झारखंड खण्डित हो रही हैं। जब कोई तत्व अपनी सकारात्मक भूमिका निभा कर समाज और देश के विकास में अपनी विशेष भागीदारी निभाता हैं तो एक कुशल शासक का काम होता हैं कि ऐसे तत्व को पुरी सुविधा उपलब्ध करायी जाय जिससे लोकतंत्र का हित हो।लेकिन वर्तमान की स्थिति और उक्त सारे तथ्य यह स्पष्ट ब्याॅ कर रही हैं की झारखंड हो रहा खण्ड खण्ड।


            अभिषेक कुमार
                 अध्यक्ष
            लक्ष्य नवयुवक संघ
              झारखंड

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