नहाय- खाय के साथ चार दिवसीय छठ अनुष्ठान हुआ प्रारंभ

अभिषेक कुमार। चार दिवसीय अनुष्ठान सूर्योपासना का महापर्व छठ नहाय-खाए शुक्रवार से शुरू हो गया है। क्षेत्र में छठ गीत बजने लगी। उगाहो सुरुज देव अरगा के बेर, जल्दी आइए छठी मईया समेत अन्य भक्ति गीत से पूरा वातावरण महापर्व छठ में सरोवर है। 28 अक्टूबर को श्रद्धालुओं ने अपने घरों पर स्नान करके लौकी की सब्जी और अरवा चावल ग्रहण करके छठ व्रत का संकल्प लिया। व्रतियों का 36 घंटे का निराहार-निर्जला व्रत शनिवार को खरने के बाद शुरू होगा। रविवार को सायंकालीन व सोमवार को उदयीमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करके चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेगी।
धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाय से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। झारखंड,बिहार में छठ महापर्व पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। हजारीबाग समेत विभिन्न प्रखंडों में काफी तादाद में श्रद्धालु छठ महापर्व कर रहे है। श्रद्धालुओं के घरों पर छठी मैया और हर-हर गंगे के जयकारे शुक्रवार की सुबह से ही गूंजने लगी और उनके घरों की नजारा बदला हुआ है।
कई श्रद्धालुओं ने घाटों पर प्रसाद के लिए पानी लेकर गए। फिर कई छठ व्रतियों ने हर हर गंगे और हे छठी मैया के जयकारे लगाते हुए गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। जिसके पश्चात छठ व्रतियों ने अपने अपने घरों में लौकी की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल बनाकर भगवान भास्कर को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किये।
दूसरी ओर भारी संख्या में व्रतियों ने अपने-अपने घरों में अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी बनाकर भोजन किया। व्रतियों व उनके परिजनों ने नहाय-खाय के साथ ही खरना व सायंकालीन, प्रात:कालीन अर्घ्य की भी तैयारी की। घरों की छतों पर खरने के प्रसाद के लिए गेहूं साफ करके सुखाए गए। गेहूं के पूरी तरह से सूखने तक व्रती व अन्य सदस्य वहीं बैठे रहे।

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