लोक आस्था से जुड़ा है 40 फीट ऊंचा सूर्य मंदिर इचाक का इतिहास

छठ पूजा को लेकर बनी समिति
इचाक, अभिषेक कुमार। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर शनिवार को ग्रामीणों की बैठक की गई। जिसकी अध्यक्षता भैरो नारायण सिंह व संचालन पुजारी सुबोध पाण्डेय ने किया। इस दौरान पूजा में पर्वतीयो की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसमे मंदिर में इंट्री और एक्जिट का बैरिकेट, चेंजिंग रूम, तैराकी और सुरक्षा की व्यवस्था पर चर्चा करते हुए बल दिया गया। जिसे लेकर छठ पूजा कमेटी का गठन किया गया। जिसमे अध्यक्ष भैरो नारायण सिंह, सचिव सुबोध पाण्डेय, उपाध्यक्ष सुदीप सिंह, कोषाध्यक्ष गजेंद्र प्रजापति संरक्षक गौतम नारायण सिंह, महामंत्री अजय यादव, प्रबंध समिति सह व्यवस्थापक प्रकाश राम चंद्रवंशी, राजू राम, राजेश अग्रवाल उर्फ बुटुल, साज सज्जा ऑपरेटर दीपक विश्वकर्मा समेत 15 लोगो को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया।
बताते चलें कि 1772 ईस्वी में राजा शंभूनाथ सिंह के द्वारा प्रखंड के परासी में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया था। जमीन से लगभग 40 फीट ऊंचा यह मंदिर की विशेष महता है। मंदिर निर्माण के बाद सबसे पहला पुजारी देवधर सहाय पाठक हुआ करते थे। जिन्होंने इसी मंदिर में महापर्व छठ का व्रत रखा था। दोनों दंपत्ति छठ के दौरान गुफा के बगल वाले कमरे में सोए हुए थे, जहां बंद कमरा होने के कारण गैस भर गया था और दम घुटने से दोनों की मौत हो गई थी। जिनके नाम से आम बगीचा के पास सती पिंडा भी बनाया गया था। पुजारी की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी लोग पूजा करने लगे जो बाद में मंदिर को छोड़कर टाटीझरिया चले गए। तब से लेकर अब तक पुजारी के रूप में सुखदेव पांडे व उनके पुत्र सुबोध पांडेय पूजा करते चले आ रहे हैं।
मंदिर निर्माण के बाद से ही प्रखंड वासी लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा इसी तालाब में भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर मंदिर में विधि विधान से पूजा करते आ रहे हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि सूर्य उपासक को तालाब से सीधे सूर्य मंदिर आने में कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है। लोगों का अवधारणा है कि मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर एक गुफा नुमा आकृति है। इस गुफा का संबंध पद्मा किला से जुड़ा हुआ है। जहां रानी पद्मावती पद्मा किला के सिंह दरवाजा से लेकर सूर्य मंदिर इचाक के गुफा तक प्रातः सुबह आकर सूर्य की पूजा किया करती थी, और उसी गुफा के रास्ते से पुण: अपने पद्मा किला को चली जाती थी। लेकिन यह मान्यता व अवधारणा कितना सत्व सही है जिसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है। इधर पूजा को लेकर मंदिर में साज सज्जा व साफ-सफाई पूर्ण कर ली गई है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। सूर्य मंदिर अपने आप में लोक आस्था का केंद्र है।
मौके पर सत्य नारायण सिंह, उप मुखिया बलराम कुमार,जितेंद्र पाठक, कामेश्वर कुमार, मुकेश यादव, छोटू कुमार, रघु राम, प्रकाश राम, रविशंकर वैद्य, विक्की कुमार, प्रणव पांडे समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।

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