Information related to Indian culture and sports including latest news, incident, accident, social and political component is available.
राधे कृष्णा की धुन में डूबा मंदिरों का नगरी इचाक
ऐतिहासिक बंशीधर कोठी में धूमधाम से मना कृष्ण जन्माष्टमी
इचाक,
अभिषेक कुमार।
प्रखंड के परासी स्थित वर्षों पुराना ऐतिहासिक कोठी बंशीधर मंदिर में सनातन धर्म प्रेमियों द्वारा शुक्रवार को कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया गया। बंशीधर में सुबह से ही भजन की धुन से क्षेत्र गुंजायमान रहा। राधे राधे, जय श्री कृष्ण, मैया यशोदा जैसे भक्ति गीत पर रात भर भक्तगण श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे रहे तथा भजन कीर्तन के द्वारा श्रद्धालुओं ने कृष्ण लल्ला को याद किया।
सर्वप्रथम मंदिर में स्थापित राधा - कृष्ण, राम - सीता, लक्ष्मी नारायण, सूर्यदेव की प्रतिमा पर पूजा अर्चना करते हुए संध्या आरती के बाद भोग प्रसाद का वितरण किया गया। लोगो ने मध्य रात्रि का बेसबरी से इंतजार करते हुए श्री कृष्ण लल्ला का भव्य स्वागत किया। बताते चलें कि राजकाल से ही बंशीधर मंदिर से लोगो का आस्था जुड़ा हुआ है।
जब सन 1768 ईसवी में अंग्रेजों और देसी रियासतों के बीच विवाद चल रहा था और रामगढ़ कभी भी इस खतरे का शिकार हो सकता था, उस समय महाराज मुकुंद सिंह सुरक्षित स्थान की खोज में निकले थे। तभी महाराज को इचाक में बंशी बजने की धुन सुनाई पड़ी थी और उस धुन की आवाज के तरफ बढ़ते गए। इधर-उधर देखने पर उन्हें श्री बंशीधर की एक मूर्ति दिखाई दी। तुरंत घोड़े से उतरकर महाराजा मुकुंद सिंह तलवार से उखाड़ने लगे। तलवार में उन्हें खून दिखाई दिया और चारों ओर देखने लगे तो उन्हें पत्थर का एक चक्र दिखाई दिया। महाराज ने उस समय अपने मन में यह फैसला किया कि यह जगह समतल और सुरक्षित है।
यहीं गढ़ बनाना उचित प्रतीत होता है। 1768 में बंशीधर का नींव पड़ा। उस समय इचाक रामगढ़ राज्य की राजधानी हुआ करता था। इचाक बाजार के परासी में बंशीधर 1771 में पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो चुका था। बंशीधर मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा करके राजा मुकुंद सिंह कृष्ण लल्ला के प्रति जागृत हुए थे। उसके बाद से ही बंशीधर कोठी में प्रत्येक वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य स्वरूप देखने को मिलता है। इतिहासकारों का कहना है कि बाद में जब महाराज के उत्तराधिकारी पद्मा किला में बसे तो राज परिवार इस बंशीधर मंदिर से कृष्ण लल्ला को ले जाना चाहते थे। उसी दौरान जब हाथी पर कृष्ण भगवान की मूर्ति को ले जाने के लिए रखा गया तो हाथी बैठ जाता था और उठ नहीं पाता था। इस तरह से कितने हाथी को बदला गया। अंत में थक हार कर राज परिवार बंशीधर में ही कृष्ण लल्ला को पुनः स्थापित कर दिए।इस मंदिर में कई श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगने आते हैं, तथा उपवास रखकर महिलाएं संध्या को मंदिर परिसर पहुंचकर विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर को पंडाल, लाइट, फूलो - पतियों से सुसज्जित किया गया।
पंडित सूरज तिवारी द्वारा पूजा अर्चना करते हुए पूरे क्षेत्र की खुशहाली और सर्वांगीण विकास की मनोकामना की गई। इधर देर रात तक मंदिर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कमेटी के लोग और इचाक पुलिस तत्पर दिखे। पूजा को सफल बनाने में कमेटी के विधायक प्रतिनिधि सच्चिदानंद अग्रवाल, भोला भगत, मुकेश केसरी, गोविंद केसरी, मोहन केसरी, मुकेश रजक, टिंकू गुप्ता, आशीष सोनी, राजेश अग्रवाल, शनी कुमार समेत कई लोगो का योगदान रहा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इचाक में शान से लहराया तिरंगा, देशप्रेमियों ने दी सलामी
झारखंड आंदोलनकारियों को किया गया सम्मानित अभिषेक कुमार🖋️ इचाक। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इचाक प्रखण्ड में राष्ट्रीय त्योहार हर्षोल्लास...
-
लापता युवती के परिजनों ने इचाक पहुंचकर पुलिस से लगाई न्याय की गुहार अभिषेक कुमार इचाक प्रखंड के कुरहा गांव निवासी शिक्षक दंपति राहुल औ...
-
जनप्रतिनिधियों द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद व निराधार - बीडीओ अभिषेक कुमार🖋️ इचाक प्रखंड के मुखिया संघ और अन्य पंचायत प्रतिनिधियों...
-
इंस्टाग्राम बना विवाद का कारण अभिषेक कुमार🖋️ इचाक थाना क्षेत्र के लोटवा गांव में एक कुआं से विवाहित महिला का शव पुलिस ने बरामद किया ...
No comments:
Post a Comment