बंदोबस्त कार्यालय का अनोखा खेल

बंदोबस्त कार्यालय का अनोखा खेल, प्रतिबंधित जीएम भूमि करते हैं सेल
पंजी टू चोरी के आरोपी और भू माफिया के बीच घिरा रहता है बंदोबस्त कार्यालय
हजारीबाग
किसी भी भू स्वामित्व को उनके भूखंडों पर स्थापित रहने, आम गैरमजरूआ खाते की भूमि को संरक्षित रखने और सरकारी संपत्ति को पारदर्शिता के साथ सरकार के लेखा-जोखा अभिलेख दर्ज करने को लेकर भू राजस्व व बंदोबस्त कार्यालय की अहम भूमिका होती है। लेकिन हजारीबाग जिला समेत विभिन्न क्षेत्रों में तालाब, कुऑ, मठ- मंदिर, झील व अन्य सार्वजनिक भूखंडों पर भू माफियाओं के द्वारा कब्जा करने तथा वास्तविक रैयत के जगह पर कथित लोगो का नाम दर्ज कर बंदोबस्त करने के कई मामला प्रकाश में आया है। कहीं पोखर (तालाब) को किसी निजी व्यक्ति के नाम से बंदोबस्त कर दिया गया है तो किसी सार्वजनिक मंदिर के भूखंड को ही भू माफिया के नाम से खाता खोल दिया गया है। हद तो तब हो गई जब बंदोबस्त कार्यालय के कर्मी द्वारा अपने नाम से ही जीएम प्रतिबंधित सूची के जमीन का खाता खोल लिया गया है। इस पूरे प्रकरण में बंदोबस्त कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार व पदाधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर भी सवाल उठने लगा है। बताते चले की केदला मौजा में दैनिक परिमाप निरीक्षकों पर रैयतों द्वारा कई आरोप लगाया गया है, जिसका अबतक कोई जांच नहीं हो पाया है। वहीं माण्डु प्रखण्ड के कोतरे व बाराघुट्टू मौजा के गैर मजरूवा प्रतिबंधित भूमि को कार्यालय कर्मी द्वारा खुद के नाम से ही खाता खोले जाने का मामला प्रकाश में आया है. जो जांच का विषय हैं। बंदोबस्त कार्यालय द्वारा ईचाक प्रखण्ड में गैर मजरूवा खाता (तालाब) की प्रतिबंधित प्लाट को बदल कर भू माफिया के हाथो जमीन को बिक्री करवाने मे सहयोग करने के लिए पुरे व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। ऐसे कई मामलों में संलिप्त कार्यालय की भूमिका पर सवाल खड़ा हो रहा है। उसी प्रकार चौपारण में एक मंदिर की भूमि को किसी खास समुदाय के नाम से खाता खोला गया,जो जांच के दायरे में है। इधर मिली सूत्रों से जानकारी के अनुसार भूमाफिया के इशारे पर तजदीक एवं खाना पूर्ति शिविर में मनचाहे कर्मियों को प्रतिनियुक्त तथा शिविर का गठन किया जा रहा। इससे यह प्रतीत होता है कि यह कार्यालय के पदाधिकारी तथा कर्मी भ्रष्टाचार के गंगोत्री में पुरी तरह डुबकी लगा रहे हैं जिसका खामियाजा वास्तविक भू स्वामित्व और सरकार को भुगतना पड़ सकता है। भ्रष्टाचार की सीमा इस हद तक पार हो चुकी हैं की कार्यालय के इर्द गिर्द पंजी टू चोरी में संलिप्त अपराधी, दलाल और भूमाफिया जमे दिखते हैं। इचाक थाना कांड संख्या 120/19 के मुख्य आरोपी और उनके सागिर्दो को लगातार कार्यालय में जमे रहना, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी संपति को हड़पने और बहुमूल्य भूमि पर इन सभी की गिद्ध दृष्टि बनी रहने के कारण आम अवाम को कई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जन मुद्दों पर आरटीआइ करने वाले को सूचना की जानकारी ना देकर आवेदक को आवेदन वापस लेने का दबाव कार्यालय कर्मी द्वारा किया जाता हैं। जिसका खुलासा आरटीआई के सक्रिय सदस्य ने किया है। हजारीबाग में यह चर्चा का विषय भी बना हुआ है कि बंदोबस्त कार्यालय में रात्रि 8:00 बजे तक तथा रविवार को भी कार्य किया जाता है। अब कितना सही काम होता है या गलत यह तो वक्त आने पर ही पता चल पाएगा। बंदोबस्त कार्यालय हजारीबाग के पदाधिकारी व कर्मियों की ऐसी रवैया के कारण भूस्वामियों के बीच रोष व्याप्त है। क्या कहते है बंदोबस्त पदाधिकारी
बंदोबस्त पदाधिकारी महेश कुमार संथालिया से जब इस प्रकरण पर झारखंड जागरण के संवाददाता ने बात किया तो उन्होंने कहा कि अगर किसी कर्मी द्वारा खुद के नाम से खाता खोला गया है तो उसकी जांच की जाएगी। फिलहाल मुझे इसकी जानकारी नहीं है। इचाक के प्लॉट बदलने के मामला को लेकर बताया कि जांच उपरांत कार्रवाई की जा रही है, चौपारण में गलत तरीके से खोले गए खाता को रद्द करते हुए सुधार किया गया है। चार लाख से अधिक खाते खुले हुए हैं अगर इन किन कारणों से कहीं गड़बड़ी हुई है तो संज्ञान में आते ही उस पर कार्रवाई करते हुए सुधार किया जाएगा। मैं अपने कार्यों के प्रति सजग हूं। जितना संभव हो सके व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए तत्पर रहूंगा। रही बात देर रात और रविवार तक कार्यालय में काम करने का तो हमारे पास स्टाफ और समय का अभाव है। जिस कारण अतिरिक्त समय पर काम करना पड़ रहा है। अभी फाइनल पब्लिकेशन नहीं हुआ है, जिसमें बहुत सुधार बाकी है। धीरे धीरे सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।

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