हजारीबाग की रामनवमी इन्टरनेशनल हैं

 हजारीबाग की इंटरनेशनल रामनवमी पर लगा कोरोना काल का ग्रहण




 सन 1918 में गुरु सहाय ठाकुर ने किया था रामनवमी जुलूस की शुरुआत


48 घंटो तक बिना रुके चलने वाला झाँकी और जुलूस पर पाबंदी लगाने से रामभक्तो में छाया मायूसी

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हजारीबाग की इन्टरनेशनल रामनवमी को देखने विदेशों से भी आते है लोग

अभिषेक कुमार 

हजारीबाग 

हजारीबाग में होली के दूसरे दिन से ही राम भक्तों में श्री राम के नाम का जुनून दिखने वाला इंटरनेशनल रामनवमी पर दो वर्षों से कोरोना काल का ग्रहण छाया हुआ है। जिसके कारण क्षेत्र के युवाओं समेत धर्म प्रेमियों और राम भक्तों में मायूसी दिख रही है। चैत्र नवरात्र के कलश स्थापना के दिन से ही पूरे क्षेत्र में जय श्री राम और वीर बजरंगी की उद्घोष, भजन - आरती और मंगला जुलूस से जन-जन में इंटरनेशनल रामनवमी का परवान चढ़ जाता है। हर घर और मोहल्ले में भगवा झंडा से पटा हुआ नजारा राम भक्तों में ऊर्जा भर्ती है। रामनवमी के शुरू दिन से ही सभी अखाड़ा धारी शाम को अपने अखाड़ा परिसर में लाठी और तलवार के करतब- कलाकारी से युवाओं में जोश भरते हैं, जिसका अंतिम प्रदर्शन नवमी और दशमी के जुलूस में देखने को मिलता है। 




लेकिन वर्ष 2020 और 2021 दो वर्षों से यह सभी दृश्य मात्र कल्पना के लिए रह गई और कोरोना काल में इंटरनेशनल रामनवमी पर सरकार और प्रशासन का पाबंदी लग गई है। बताते चलें कि विश्व विख्यात श्री राम उत्सव का अनोखा दृश्य देखा जाने वाला हजारीबाग इन्टरनेशनल रामनवमी की  शुरुआत सन 1918 ईसवीं  में गुरु सहाय ठाकुर के द्वारा किया गया था। तब से हजारीबाग में सैकड़ों अखाड़ा धारी नवमी दसवीं और एकादशी को लगभग 48 घंटे तक बिना थके बिना रुके झांकी, जुलूस और हाथों में लाठी, तलवार से कला दिखाते हुए पुरे क्षेत्र का भ्रमण करते हैं। जिसमें राम दरबार, रामायण चित्रण, प्रसिद्ध मंदिरों, संस्कृति का रूप जैसे अन्य कलाओं से भक्ति का स्वरूप झाँकी में  देखने को मिलता है। जिसे देखने देश के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग हजारीबाग की विश्व विख्यात रामनवमी को देखने आते हैं। इधर कुछ वर्षों से महाराष्ट्रन ढ़ोल की आवाज और दृश्य भी आकर्षण का केंद्र बना हैं। जो इस वर्ष भी सन्नाटा देखने को मिलेगी व सभी की उम्मीदों और लालसा धरी की धरी रह गई। जहां कभी पुलिस प्रशासन की बड़ी तादाद लाखों राम भक्तों के जुलूस को नियंत्रण में रखने के लिए अपनी नींद, चैन गवाएं दिखते थे वहीं इस बार खामोशी का आलम देखा जा रहा है। वैसे हजारीबाग को अपनी पहचान दिलाने में रामनवमी एक बड़ा उदाहरण रहा है। इसी पहचान को बरकरार रखने के लिए विधायक मनीष जयसवाल और रामभक्तो ने झारखंड सरकार से रामनवमी पर्व मनाने और जुलूस निकालने का अपील भी किया था, लेकिन हेमंत सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण का खतरा को देखते हुए तत्काल किसी भी प्रकार का जुलूस व अनावश्यक भीड़ भाड़ पर रोक लगाया गया है। बता दें कि हजारीबाग जिला समेत इचाक, बरही, पदमा, कटकमदाग व अन्य क्षेत्रों में भी रामनवमी जुलूस का जनसैलाब देखने को मिलता था, जिस पर अब तक पूर्णरूपेण कोविड-19 का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि राम नवमी पूजा को गाइड लाइन के अनुसार अपने घरों और मंदिरों में मनाने की छूट दी गई है।

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