शराब घोटाले मामले में एसीबी की कार्यवाईराँची
शराब घोटाले में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे व संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को एसीबी ने लिया हिरासत मेंएंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) रांची उत्पाद घोटाले में आइएएस अधिकारी विनय चौबे और उत्पाद विभाग के अधिकारी गजेंद्र सिंह को हिरासत में लिया है. दोनों को योगेश कुमार की कोर्ट में पेश किया जा रहा है. एसीबी ने विनय चौबे पर छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड में नयी शराब नीति बनाने और राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाया है. एसीबी रांची ने भी छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी( 36/2024) के बाद पीइ दर्ज की. पीइ की जांच के दौरान एसीबी ने कई बार तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे और गजेंद्र सिंह से पूछताछ की. प्रारंभिक पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर एसीबी ने सरकार की अनुमति के शराब घोटाले में नियमित प्राथमिकी दर्ज की. इस बीच मार्च 2025 में आर्थिक अपराध शाखा ने छत्तीसगढ़ में दर्ज प्राथमिकी की जांच पूरा करने के बाद राज्य सरकार को पत्र लिख कर विनय चौबे,गजेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति आदेश जारी करने का अनुरोध किया. राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा से मिले पत्र के आलोक में सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता एस. नागामुथू से कानूनी राय मांगी. कानूनी राय के लिए राज्य सरकार की ओर से झारखंड में भी चल रही जांच की जानकारी दी थी. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता से कानूनी राय मिलने के बाद एसीबी झारखंड ने सुबह करीब 10.30 बजे तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे को उनके घर से ले आयी. विनय चौबे से हुई पूछताछ के बाद एसीबी ने दोपहर को गजेंद्र सिंह को भी बुलाया. इसके बाद इन दोनों अधिकारियों से छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में उनकी भूमिका के सिलसिले में पूछताछ की. क्या है पूरा मामला वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में राज्य के शराब व्यापारियों के बीच यह चर्चा शुरू हुई कि 2022-23 से नयी शराब नीति आने वाली है. इसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का दबदबा रहेगा. इन्हीं चर्चाओं के बीच उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को झारखंड में शराब के राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया. उत्पाद नीति बनाने में सलाह देने के लिए सरकार ने अरूणपति त्रिपाठी की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित किया. नयी उत्पाद नीति बनाने के बाद उसे राजस्व पर्षद सदस्य के पास सहमति के लिए भेजी गयी. उस वक्त अमरेंद्र प्रसाद सिंह राजस्व पर्षद सदस्य थे. उन्होंने उत्पाद नीति पर अपनी असहमति जताते हुए कई मामलों में बदलाव लाने का सुझाव दिया. साथ ही यह टिप्पणी भी कि जिस कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया, वह अपने राज्य में शराब का राजस्व नहीं बढ़ा पा रही है. झारखंड में शराब के राजस्व का ग्रोथ, छत्तीसगढ़ से ज्यादा है. ऐसे में वह कंपनी झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए क्या सलाह देगी, ये समझ से परे है. राजस्व पर्षद सदस्य द्वारा दिये गये सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने नयी उत्पाद नीति की घोषणा की. नयी नीति के घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का झारखंड में शराब के व्यापार पर कब्जा हो गया. टेंडर में लगायी गयी शर्तों के मद्देनजर थोक व्यापार इशिता और ओमसाई नाम की कंपनियों के हाथों चला गया. शराब के राजस्व पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए बोतलों को लगाया जाने वाले होलोग्राम बनाने का काम भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में शामिल प्रिज्म नाम की कंपनी को दे दिया गया. सरकार द्वारा चलायी जाने वाली खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिला. नयी उत्पाद नीति की वजह से सबसे पहले देशी शराब बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुईं. 2022-23 से पहले झारखंड में देशी शराब प्लास्टिक के बोतल में बेचने का नियम था. लेकिन छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने प्लास्टिक के बदले शीशे की बोतल में देसी शराब बेचने का नियम लागू करवा दिया. इससे झारखंड में देसी शराब के बॉलिंग प्लांट बंद हो गये. इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में पड़े देसी शराब के स्टॉक को झारखंड में बेचा. इसके बाद झारखंड के देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से मिल कर पार्टनशिप करने की कोशिश की. लेकिन झारखंड की ज्यादातर कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हुई. इन कंपनियों को उत्पाद विभाग के अधिकारियों से मिल कर किसी ना किसी तरह परेशान किया जाता है. इस बीच छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरूण पति त्रिपाठी व अन्य को अभियुक्त बनाये जाने के बाद शराब सिंडिकेट के कुछ लोग झारखंड से चले गये. जबकि सिंडिकेट की कुछ कंपनियों के साथ किये गये एकरारनामे को सरकार ने रद्द कर दिया.